मिर्जा गालिब: जिसकी शायरी में जिंदगी अपना फलसफा ढूंढती है
Dec 26, 2017, 10:39 AM
गालिब के जन्म के सवा दो सौ साल बाद भी उनके मिसरे, कहावतों और मुहावरों की शक्ल में रोजमर्रा की बोलचाल में चहलकदमी करते हैं.
गालिब के जन्म के सवा दो सौ साल बाद भी उनके मिसरे, कहावतों और मुहावरों की शक्ल में रोजमर्रा की बोलचाल में चहलकदमी करते हैं.
We recommend upgrading to the latest Chrome, Firefox, Safari, or Edge.
Please check your internet connection and refresh the page. You might also try disabling any ad blockers.
You can visit our support center if you're having problems.