गणपति बाप्पा मोरया 5 हजार किलो फूलों से सजाए गए हैं दगडूशेठ हलवाई गणपती !
अंगारकी चतुर्थी गणेशोत्सव महाराष्ट्र मुंबई लालबाग गणेश गल्ली हर साल पुणे के शिवाजी नगर में चैत्रमास की पंचमी को श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपती को मोगरे के फूलों से सजाया जाता है. इसे मोगरा महोत्सव भी कहा जाता है. इस साल मंगलवार को अंगारकी चतुर्थी के ठीक अगले दिन दगडूशेठ गणपती को सजाया गया है. इस सजावट में 5 हजार किलो से अधिक फूलों का इस्तेमाल हुआ है. इन 5 हजार फूलों में मोगरा 2 से 2.5 हजार किलो, गुलछडी 1 हजार किलो, 1 लाख लिली, 1 लाख गुलाब चाफा, 50 हजार जास्वंद, अन्य फूलों में चाफा, केवडा, कमळ, दवना, चमेली जाई जुई, तगर का इस्तेमाल हुआ है. आज ये मंदिर रात 3 बजे तक खुलेगा. दगडूशेठ हलवाई ट्रस्ट के प्रवक्ता का कहना है कि आज रात तक 2 लाख से अधिक लोग आने की उम्मीद है. हर साल यहां लाखों लोग देशभर से गणपती के दर्शन करने आते हैं. भारत में नया साल चैत्रमास में गुड़ी पड़वा से शुरू होता है. चैत्रमास में कृष्णपक्ष में जो चतुर्थी आती है उसके दूसरे दिन जो पंचमी आती है उस पंचमी के दिन गणेश जी को चंदन का लेप लगाया जाता है. इस महीने में जितने भी अलग-अलग तरह के फूल हैं उनसे गणेश जी का अभिषेक किया जाता है. इस बार 5 हजार किलो फूलों से गणेश जी और इस मंदिर को सजाया गया है. गणेश जी को फूलों से सजाकर गर्मी के मौसम में बढ़ते तापमान को सहने की शक्ति की प्रार्थना की जाती है. किसान, उनकी फसलें और आम जनता सुजलाम, सुफलाम हो जाए. इसकी प्रार्थना की जाती है. इन फूलों से जो महक आती है उसी तरह से लोगों के जीवन में भी महक आए. गणेश जी का आशीर्वाद सबको प्राप्त हो इस भावना से गणेश जी को पुष्प अर्जित किए जाते हैं. लाखों फूलों की अर्चना गणेश जी को की गई है सभी भक्त गणेश जी से अच्छी वर्षा होने की कामना करते हैं और भारतवासी सुखी रहें इसकी कामना की जाती है. श्री दगडुशेठ हलवाई गणपती भक्तों के प्रिय भगवान हैं. श्रीमंत दगडुशेठ हलवाई गणपती को पुणे शहर के गौरव का उच्चतम स्थान माना जाता है. इस मंदिरके पीछे एक बहुत बडी और वैभवशाली परंपरा रही है. कई साल पहले अपना इकलौता बेटा प्लेग के लपेटे में खोने के बाद श्रीमंत दगडुशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई ने गणेश मूर्ती की स्थापना की थी. उसके बाद अब हर साल ना केवल श्री दगडुशेठ का परिवार बल्कि आसपास के सभी लोग भाव-भक्ती से और बडे जोश के साथ गणेशोत्सव मनाते हैं. जवान उम्र में तात्यासाहेब गोडसे इस गणेश-उत्सव के एक उत्साही कार्यकर्ता थे. बाद में जब लोकमान्य तिलक जी ने आजादी के संघर्ष में लोगों को इकट्ठा करने के लिये गणेशोत्सव को सार्वजनिक उत्सव का रूप दिया तब दगडुशेठ गणपती को सर्वाधिक लोकप्रियता का सम्मान प्राप्त हुआ.