मोदी के खिलाफ तेज बहादुर की उम्मीदवारी, अखिलेश-माया की है बहादुरी?
वाराणसी का मुकाबला फिर रोचक हो गया है. यहां प्रियंका गांधी और नरेंद्र मोदी के बीच सुपरहिट मुकाबला तो नहीं हुआ लेकिन अब समाजवादी पार्टी और बीएसपी गठबंधन ने इस बोरिंग बैटल में तड़का लगा दिया है. एसपी-बीएसपी गठबंधन ने यहां से अपनी उम्मीदवार शालिनी यादव को हटाकर बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर को चुनाव मैदान में उतार दिया है. लेकिन मोदी को मिल रही इन चुनौतियों का कोई वजन है भी या नहीं? क्या इसे चुनौती का नाम देना भी सही है? एक घोषित उम्मीदवार को हटाकर अखिलेश-माया ने तेज बहादुर को सपोर्ट करने का जो फैसला किया है, उससे उन्हें कुछ हासिल भी होगा?