100 साल पहले क्या लिख रहीं थीं मुसलमान औरतें?

Jun 20, 2016, 07:39 AM

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ज़रा सोचिए क़रीब सौ साल पहले मुसलमान औरतें अपनी ज़बान, यानि उर्दू में, क्या लिखती थीं? क्या पढ़ती थीं? आज के दौर में जब मुसलमान औरतों का ज़िक्र बुर्का, तीन तलाक़, इस्लामी फ़तवों या युनीफ़ॉर्म सिविल कोड के संदर्भ में ही होता है, आपको हैरानी होगी कि बीसवीं सदी की शुरुआत में वो इसके इतर कितनी बातें कह रही थीं. हाल ही में एक नाटक हम ख़वातीन ने उस दौर के कुछ लेखों को चुनकर दिल्ली में प्रस्तुत किया और एक झलक दी बीसवीं सदी की शुरुआत में मुसलमान औरतों की ज़िंदगी की. क्या थे उस व़क्त इन औरतों के सरोकार और कितनी बेबाक़ थी तब उनकी आवाज़? विशेष पेशकश के साथ बीबीसी संवाददाता दिव्या आर्य.