शिवसेना उद्धव ठाकरे ने नरेंद्र मोदी को दिखाई आंख, वजह अपमान से जुड़ी है !
संसद के मॉनसून सत्र से पहले एक महत्वपूर्ण राजनीति घटनाक्रम के तहत तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) का एक प्रतिनिधिमंडल गैर-कांग्रेसी और गैर भाजपा दलों के नेताओं से मिलने की जुगत में था। इसी सिलसिले में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने तेदेपा नेताओं को मिलने का समय नहीं दिया। शिवसेना की इस बेरुखी ने तेदेपा नेताओं को हतोत्साहित किया है। इससे साफ जाहिर है कि चंद्रबाबू नायडू की राजनीतिक गोलबंदी की कवायद फुस्स होती जा रही है। तेदेपा के लोकसभा सदस्य थोटा नरसिम्हन और सांसद पी. रविंद्र बाबू रविवार शाम शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मिलने वाले थे। ठाकरे के अप्वाइंटमेंट नहीं देने से दोनों नेताओं को खाली हाथ लौटना पड़ा। हाल में शिवसेना और बीजेपी की तल्खी को तेदेपा भुनाने की मंशा रखती है। वहीं उद्धव ठाकरे ने सियासी समझ दिखाते हुए खुद के राजनीतिक इस्तेमाल से अपने को बचा लिया। हालांकि तेदेपा नेताओं ने बाद में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कुछ अन्य दलों के नेताओं से मुलाकात की। हालांकि बैठकों का विवरण या एजेंडा का अभी तेदेपा नेताओं ने खुलासा नहीं किया। नेताओं से मुलाकात के दौरान नरसिम्हन तेदेपा अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की तरफ से एक पत्र और पुस्तिका भी सौंपेंगे, जिसमें आंध्र प्रदेश के साथ हुए अन्याय को रेखांकित किया गया है। संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से 10 अगस्त तक आयोजित है। इस दौरान आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग प्रमुखता से उठाई जा सकती है। यह मुद्दा 2019 के आम चुनाव से पहले काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। इस मुद्दे को वाईएसआरसीपी ने जोर शोर से उठाया है। अपनी प्रजा संकल्प यात्रा के दौरान वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी लोगों को बताने में सफल रहे हैं कि किस तरह तेदेपा विशेष राज्य के दर्जे को भुनाने की कोशिश कर रही है। जबकि वास्तव में तेलुगू देशम पार्टी ने कई मौके पर विशेष राज्य के दर्जे की मांग से समझौता किया।