हिंदूवादी पिता का कम्युनिस्ट पुत्र, जब सीपीएम ने सोमनाथ चटर्जी को पार्टी से निकाला

Episode 34,   Aug 14, 2018, 07:54 AM

दस बार सांसद रह चुके पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने आज अंतिम सांस ली। दिल का दौरा पड़ने की वजह से वह कोलकाता के एक हॉस्पिटल में एडमिट थे किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। विभिन्न पार्टी में अपना सहयोग देने वाले एक खास शख्सियत थे सोमनाथ चटर्जी... आइये, जानते हैं उनकी जिंदगी के कुछ अहम पहलू। सोमनाथ का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में हुआ था और 13 अगस्त 2018 को 89 साल की उम्र में कोलकाता के एक हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी शुरुआती पढ़ाई कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज और फिर आगे की पढ़ाई कोलकाता यूनिवर्सिटी से की। उन्होंने कैंब्रिज के जीसस कालेज से कानून में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की। राजनीति में आने से पहले उन्होंने कोलकाता के हाईकोर्ट में वकालत की और 1968 में राजनीति में कदम रखा। सोमनाथ 1968 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एम) से जुड़े। 1971 में सीपीआईएम के समर्थन से निर्दलीय सांसद बने और 9 बाग सांसद बने। इन्हें सिर्फ 1984 में ममता बनर्जी से हार का सामना करना पड़ा। उस समय वह जाधवपुर सीट से खड़े थे। लेकिन उसके बाद एक बार जीत का सिलसिला कायम हुआ, जो 1989 से 2004 तक चला। साल 2004 में 14 लोकसभा में वह दसवीं बार सांसद बने। इसके साथ ही 1996 में उन्हें उत्कृष्ट सासंद पुरुस्कार से भी नवाजा गया था। सोमनाथ के राजनीतिक सफर में दुखद पल तब आया जब साल 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु संधि के मुद्दे पर वामदल ने कांग्रेस गठबंधन से समर्थन वापस लेना शुरू किया। इस समय सोमनाथ लोकसभा अध्यक्ष के पद पर थे। इस लिस्ट में सोमनाथ चटर्जी का नाम भी डाला गला जबकि लोकसभा अध्यक्ष के पद पर बैठा व्यक्ति किसी दल का नहीं होता। इस मुद्दे पर चटर्जी पार्टी के खिलाफ भी गए और पार्टी की न सुनते हुए वह स्पीकर पद पर बने रहे। जिसका हर्जाना उन्हें भुगतना पड़ा और पार्टी ने अनुशासन का पालन न करने के आरोप के साथ पार्टी से बेदखल कर दिया। सोमनाथ के लिए ये दिन सबसे दुखी दिन था। उन्होंने भविष्य के स्पीकर को सलाह देते हुए कहा कि यह दिन उनके लिए सबसे दुखी दिन है और उन्होंने कहा कि भविष्य के स्पीकर अपले दल से इस्तीफा देकर ही इस पद पर बैठें। इस पद पर रहते हुए उन्होंने लोकसभा के शून्य काल का लाइव टेलीकास्ट शुरू करवाया। 2006 में लोकसभा का प्रसारण 24 घंटे के लिए किया जाने लगा। साल 2009 में सोमनाथ चटर्जी ने राजनीति से सन्यास ले लिया।